"सर्दियों में मटर की खेती : सफल उत्पादन के लिए पूरा मार्गदर्शन"

"सर्दियों में मटर की खेती : सफल उत्पादन के लिए पूरा मार्गदर्शन"

लेख :- यश पांडे

 

परिचय : मुनाफ़े वाली फसलमटर

अगर सही समय पर मटर बोई जाए तो यह फसल अच्छी कमाई देती है और अगली फसल के लिए मिट्टी की ताकत भी बढ़ाती है। चाहे बेचने के लिए हो या घर पर खाने के लिए, रबी सीज़न में सही तरीके से बोना और देखभाल करना ज़रूरी है।

सही बोआई से अच्छी पैदावार

मैदानी इलाकों में मटर की बुवाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के पहले दो हफ्तों तक करें। पहाड़ी इलाकों में मार्च से मई तक बोआई ठीक रहती है।
हमेशा प्रमाणित और रोग-रोधी बीज ही लें। बीज को रातभर पानी में भिगोकर बोने से जल्दी और एकसमान अंकुरण होता है।

टिप: मटर को सीधी कतारों में बोएँ, कतार से कतार की दूरी 60 सेमी रखें। हल्की दोमट मिट्टी और समतल ज़मीन सबसे अच्छी रहती है। इससे आगे चलकर फसल संभालना आसान हो जाता है।

मटर की बढ़वार के ज़रूरी पड़ाव

सही नमी और ठंडक होने पर अंकुरण 6 से 15 दिन में हो जाता है। इसके बाद पौधा तेजी से बढ़ता है। बेल वाली किस्मों के लिए सहारा (डंडी या हल्की ट्रेलेस) लगाएँ।
फूल लगभग 45 से 60 दिन बाद आते हैं और उसी समय फली भी लगनी शुरू हो जाती है।

टिप: तीसरे से छठे हफ्ते तक खेत की अच्छी तरह से निराई-गुड़ाई करें। जड़ें प्रतिस्पर्धा पसंद नहीं करतीं। खेत साफ रहेगा तो फली का वजन भी अच्छा होगा।

मटर की ज़रूरतें: मिट्टी, पानी और खाद

मटर की खेती के लिए मिट्टी का pH 6 से 7.5 तक होना चाहिए और उसमें जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद/कम्पोस्ट) ज़रूरी है। बोआई से पहले गोबर की खाद डालें ताकि जड़ें मजबूत हों। पानी बोआई के बाद और हर 8-10 दिन पर दें। खासकर फूल और फली बनने के समय पानी पर ध्यान रखें। संतुलित NPK खाद बोआई से पहले डालें। अगर पौधे बौने दिखें तो अतिरिक्त फॉस्फोरस डालें।

टिप: खेत में पुआल या फसल का अवशेष बिछाकर मल्चिंग करें। इससे नमी बनी रहती है, खरपतवार कम होते हैं और बीमारियाँ भी घटती हैं।

आम बीमारियों और कीटों से बचाव

मटर में अक्सर चेपा (aphid), पाउडरी मिल्ड्यू और लीफ माइनर का हमला होता है।

पौधों में दूरी रखें ताकि हवा का आवागमन बना रहे। फसल चक्र अपनाएँ ताकि मिट्टी भी सुधरे और कीट भी कन्फ्यूज़ हों। जैविक स्प्रे जैसे नीम तेल का छिड़काव करें। सूखे या बीमार पौधों को खेत से निकालकर नष्ट करें।

मटर की खेती में मददगार – Parth AI

अब खेत और मिट्टी की देखभाल आसान है Parth AI से। बस pH, EC और ऑर्गेनिक कार्बन जैसी जानकारी डालें, और ये आपको बताएगा कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है।

फॉस्फोरस, पोटाश और पानी से जुड़ी गड़बड़ियों की तुरंत पहचान होती है। Krishi GPT तुरंत कीट-रोग, सिंचाई और दवा की सलाह देता है। IoT अलर्ट से सही समय पर पानी देना, खाद डालना और कटाई की भविष्यवाणी करना आसान हो जाता है।

प्रो टिप: हर 15 दिन पर खेत की जांच करें। छोटी दिक्कतें समय रहते पकड़ में आएंगी वरना कटाई के समय बड़ा नुकसान हो सकता है।

मुनाफ़े के गुर और बोनस टिप्स

मटर को साइज और क्वालिटी के हिसाब से छाँटें। अच्छी क्वालिटी का दाम दुगना मिलता है। ताज़ी मटर को धूप में मत रखें। छाँव या ठंडी जगह पर तोड़ें। फसल कटाई में घर के लोग या मज़दूरों को साथ लगाएँ ताकि दाने ज़्यादा पककर खराब हों। अगली फसल में गेहूँ या दूसरी अनाज वाली फसल बोएँ, इससे मिट्टी की उर्वरता लौट आती है। अगर बारिश हुई है तो उसी के बाद बोएँ या फिर सूखा हो तो बोआई से पहले खेत में पानी लगा दें।

निष्कर्ष : सर्दियों की हरी सोनामटर

मटर किसानों के लिए सर्दियों का हरा सोना है। सही मिट्टी की तैयारी, समझदारी से बोआई और लगातार देखभाल से छोटी ज़मीन पर भी अच्छी पैदावार मिल सकती है।
तकनीक जैसे Parth AI से मदद लें और सही समय पर सही कदम उठाएँ। इस तरह सर्दियों की खेती मुनाफ़े में बदली जा सकती है।

और जानकारी के लिए देखें: parthai.ouranosrobotics.com

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