रागी क्यों और सर्दियों में बोना क्यों फायदेमंद है
रागी (फिंगर मिलेट) ठंड सहन करने वाली फसल है, इसलिए जहाँ सिंचाई उपलब्ध हो वहाँ रबी सीज़न में भी इसे बढ़िया पकड़ा जा सकता है। 2023 के “इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स” के बाद देश में मिलेट्स की माँग और जागरूकता दोनों बढ़े हैं। मिलेट-समूह का राष्ट्रीय उत्पादन 2022–23 में लगभग 13.5 मिलियन टन से 2023–24 में ~12.8 मिलियन टन और 2024–25 में मौसम की मार के कारण ~11.6 मिलियन टन रहा—यानी जिन क्षेत्रों ने समय पर बुवाई और बेहतर पानी/भंडारण प्रबंधन अपनाया, वे ज्यादा स्थिर दिखे।
कहाँ और कब बुवाई करें
दक्षिण भारत—खासकर तमिलनाडु और कर्नाटक—में रागी की रबी बुवाई सितंबर–अक्टूबर में करना आम है। हल्की ठंड वाले इलाकों में नर्सरी तैयार करके 25–30 दिन के पौधे रोपे जाते हैं; बहुत कड़ी ठंड न हो तो सीधी बुवाई भी होती है। समय पर बुवाई और खेत में नमी सँभालकर रखने से सर्दियों की कम तापमान/कम दिन-लंबाई में फसल को बढ़त मिलती है।
बीज और खेत की तैयारी: आसान भाषा में सीधा फार्मूला
बीज साफ़ और इलाज़ किया हुआ लें; स्थानीय तौर पर सफल किस्में चुनें। खेत को हल्की नमी में जुताई देकर समतल करें, ताकि पानी कहीं रुके नहीं। जहाँ ठंड ज्यादा नहीं पड़ती, वहाँ 25–30 दिन की नर्सरी बनाकर रोपाई करें; बाकी जगह सीधी बुवाई रखें और पहली हल्की सिंचाई समय पर दें। यह साधारण-सा अनुशासन बाद में पैदावार और अनाज की क्वालिटी—दोनों को बचाता है।
सिंचाई, खरपतवार और पोषण: “थोड़ा-थोड़ा, लेकिन समय पर”
सर्दियों में हवा सूखी होती है, इसलिए “कम मात्रा, लेकिन तय समय” पर सिंचाई सबसे कारगर रहती है। खेत को शुरुआती 3–4 हफ्तों तक घास-फूस से साफ़ रखें, क्योंकि इसी दौर में पौधा तेजी से बढ़ता है। संतुलित पोषण के साथ पानी का जमाव न होने दें—रागी को जलभराव पसंद नहीं। यह बेसिक देखभाल कटाई के बाद दाने की गुणवत्ता और भंडारण-योग्यता भी सुधारती है।
कटाई के बाद की सबसे बड़ी कुंजी: सही सुखाना और नमी
कटाई तब करें जब बालियाँ सख्त हो जाएँ और काँचापन निकल जाए। थ्रेसिंग के बाद दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाकर सुरक्षित नमी तक लाएँ—बीज/अनाज को 10–12% के आसपास सुखाना लंबे भंडारण के लिए मानक माना जाता है। ठीक से सूखे दाने ही कीट/फफूँद से बेहतर बचते हैं और पोषण भी ज्यादा दिनों तक संभलता है।
किसान क्या अपना रहे हैं: हर्मेटिक (एयर-टाइट) बैग और धातु बिन
पिछले कुछ सालों में रागी सहित मिलेट्स के लिए हर्मेटिक बैग—जैसे PICS/GrainPro/अन्य—का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, क्योंकि ये नमी के उतार-चढ़ाव और कीट-नुकसान दोनों पर अंकुश लगाते हैं। नीतिगत दस्तावेज़ों और हालिया अध्ययनों में उँगली मिलेट/मोती बाजरा जैसे मिलेट्स के लिए हर्मेटिक भंडारण को पारंपरिक तरीकों से बेहतर दिखाया गया है—फफूँद/कीट कम, पोषण हानि कम और शेल्फ-लाइफ ज्यादा। कई नवीन अध्ययनों में पर्ल मिलेट पर भी लंबी अवधि में हर्मेटिक बैग प्रभावी पाए गए, जबकि सामान्य बोरी/गुन्नी बैग में नुकसान अधिक दिखा। घर/फ़ार्म-लेवल पर किसान दाना रूप में ही स्टोर करते हैं और ज़रूरत पर ताज़ा पिसवाते हैं, क्योंकि आटा जल्दी बासी पड़ता है ।
2023–2025 की झलक: किस तकनीक से क्या नतीजा दिखा
कर्नाटक रागी का सबसे बड़ा केंद्र रहा है; अलग-अलग अनुमानों में देश के रागी उत्पादन में कर्नाटक की हिस्सेदारी 60% से अधिक बताई जाती है। वहीं 2019–20 में औसत उपज ~18 क्विंटल/हेक्टेयर से 2023–24 में ~12.5 क्विंटल/हेक्टेयर का उतार-चढ़ाव मौसम/कीमत जैसी वजहों से दिखा—यानी प्रबंधन ठीक हो तो बुरे मौसम में भी उत्पादन टिकाया जा सकता है। 2023–25 के दौरान दक्षिण कर्नाटक जिलों में ड्रोन-आधारित स्प्रे SOP के फील्ड-ट्रायल से रागी उपज में ~5% सुधार और स्प्रे-पानी की खपत ~500 से घटकर ~55 लीटर/हेक्टेयर हुई—श्रम की कमी और सुरक्षा दोनों मुद्दों पर राहत मिली। दूसरी तरफ, देश-स्तर पर मिलेट उत्पादन 2022–23 के उच्च स्तर से 2024–25 में नीचे आया, जिससे साफ़ है कि सिंचाई-सुधार, समय पर बुवाई और कटाई-बाद हर्मेटिक स्टोरेज अपनाने वाले किसान जोखिम के बावजूद ज्यादा स्थिर रहे।
आख़िरी बात: आसान नियम, लंबा फायदा
सर्दियों में रागी सफलतापूर्वक उगाने और सालों तक सुरक्षित रखने का “सीधा नियम” यही है—समय पर बुवाई, खेत में नमी का अनुशासन, कटाई के बाद दाने को 10–12% नमी तक अच्छी धूप में सुखाना, और फिर हर्मेटिक बैग/साफ़-सूखे धातु बिन में रखना। 2023–2025 के अनुभव बताते हैं कि यही सादा तकनीक फसल को मौसम के झटकों से बचाती है, नुकसान घटाती है और बाज़ार में बेहतर दाम दिलवाती है।